Sunday 2 January, 2011

गुनाहगार हूँ मैं..? (कार्टून धमाका)

नव वर्ष के पहले ही दिन मुझसे एक बड़ा गुनाह हो गया है, पर मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया फिर भी मेरी आत्मा मुझे धिक्कार रही है , आप सोचते होंगें आखिर ऐसा क्या हुआ ? तो जो कुछ हुआ ,बता रहा हूँ-
लगभग दो माह पहले मेरे छोटे बेटे ने एक जार एक्वेरियम में पांच छोटी मछलियां खरीदकर लायी थी ! पहले मैंने उसे डांटा फिर समय के साथ मेरा भी लगाव उन मछलियों से होने लगा..उनमे से एक सबसे छोटी मछली मुझे
बेहद प्रिय हो गई..मैं उसे बैठकर प्यार से निहारता रहता था ! कल रात मैंने जार को जब छूआ तो मुझे पानी कुछ ज्यादा ठंडा लगा, (मछलियों को एक निश्चित तापमान की जरूरत होती है ) मैंने जार में वाटर हीटर डाल दिया ,
पानी को गुनगुना करने के लिए ऐसा करना होता है, मैं फिर एक पत्रिका पढने लगा , और पता नहीं कब मेरी आँख लग गई? और जब मेरी आँख खुली तो मुझे अपनी भूल का एहसास हुआ, मैंने जल्दी से जार की ओर देखा, जार से भाप निकल रही थी, और मछलियाँ शांत तल में पड़ी थी, सारी मछलियाँ तड़प-तड़प कर दम तोड़
चुकी थी, और मेरे छोटे बेटे ने मेरी तरफ रोते हुए उंगलियाँ उठाकर कहा- पापा, आपने पांच हत्याएं की हैं! तब से मेरा दिल बेचैन है आप ही बताएं क्या मैं सचमुच हत्यारा हूँ...?
______________________________________________________

12 comments:

निर्मला कपिला said...

कभी कभी जाने अनजाने ऐसी भूल सब से हो जाती है। आपको और आपके पूरे परिवार को नये साल की हार्दिक शुभकामनायें

संगीता पुरी said...

ओह !!!!
अनजाने में हुए भूल को तो शायद ईश्‍वर माफ कर देते हैं .. पर आप इसे इतनी जल्‍दी भूल नहीं पाएंगे.. आपको और आपके पूरे परिवार को नए साल की शुभकामनाएं !!

Anonymous said...

लारवाही में एसा ही हो जाता है!
अब पश्चाताप पूरा हो गया है!
फिर नई मछलियाँ लाइए!

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

आदरणीय शास्त्रीजी, आपका बहुत-बहुत
आभार! आपने मुझे फिर से शुरूआत
करने की सलाह देकर मेरा मनोबल बढाया
है !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

समझ सकता हूं किन्तु अब किया भी क्या जा सकता है.
दूसरे, आमतौर से aquarium में रखी जाने वाली मछलियों का जीवन यूं भी लंबा नहीं होता...

राज भाटिय़ा said...

दुख तो होता हे, लेकिन आप को वाटर हीटर नही डालना चाहिये था:(
चलिये अब क्या हो सकता हे, आप अब इस बारे ज्यादा ना सोंचे ओर बेटे को नयी मछलियां ला दे, ओर इस एक्वेरियम के लिये एक ताप मान को सही रखने के लिये एक यंत्र मिलता हे वो ला दे, ताकि अगली बार ऎसी गलती ना हो, ओर इस हदासे को भुल जाये,

anshumala said...

आप की गलती माफ़ी के लायक नहीं है क्योकि इसके दो कारण है एक तो आप की लापरवाही से मछलियों की जान चली गई और दूसरे ये एक घोर लापरवाही थी ये आप के बच्चे परिवार और खुद आप के लिए भी खतरनाक थी कभी कभी इन राड से करेंट भी आता है सोचिये उस समय यदि आप के परिवार का कोई और आ कर उस पानी या एक्योरियम छूता तो कितनी भयानक दुर्घटना हो सकती थी | और आप के इस काम से ये पता चलता है की उस राड के प्रति आप काफी लापरवाह है ये लापरवाही कभी भी आप के घर में एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है | मेरी मन्ये खुद को इस काम के लिए कभी माफ़ नहीं कीजियेगा जब आप ये करेंगे तो हमेसा ऐसी लापरवाहियो के प्रति सावधान रहेंगे नहीं तो फिर से ये काम करने से नहीं चुकेंगे |

vandana gupta said...

उफ़!

ManPreet Kaur said...

baazar se nayi fish laakr aquarium mein dal dijiye unhe dekh kar apka beta bhi khush ho jyega..or pani ko garm karne k liye bazar se autocut aquarium heater milta hai wo le aayein..

Lyrics Mantra
Ghost Matter

Priti Krishna said...

महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के ब्लॉग हिन्दी विश्‍व पर राजकिशोर के ३१ डिसेंबर के 'एक सार्थक दिन' शीर्षक के एक पोस्ट से ऐसा लगता है कि प्रीति सागर की छीनाल सस्कृति के तहत दलाली का ठेका राजकिशोर ने ही ले लिया है !बहुत ही स्तरहीन , घटिया और बाजारू स्तर की पोस्ट की भाषा देखिए ..."पुरुष और स्त्रियाँ खूब सज-धज कर आए थे- मानो यहां स्वयंवर प्रतियोगिता होने वाली ..."यह किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्‍वविद्यालय के औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग ना होकर किसी छीनाल संस्कृति के तहत चलाए जाने वाले कोठे की भाषा लगती है ! क्या राजकिशोर की माँ भी जब सज कर किसी कार्यक्रम में जाती हैं तो किसी स्वयंवर के लिए राजकिशोर का कोई नया बाप खोजने के लिए जाती हैं !

Shikha Kaushik said...

bhool se huye paap ko bhagvan bhi maaf kar deta hai .fir se kuchh machhliya le aaiye aur unki seva kijiye .machalti hui machhliyon ko dekhkar aapka beta bhi khush ho jayega .dobara par aisi galti mat kijiyega .best of luck.

Deepak Saini said...

गल्तिया तो इंसान से होती ही है।