बहुत पुराना है मेरा यह ब्लॉग..इसी ब्लॉग से मेरी पहचान इंटरनेट पर बनी..कई साल इस ब्लॉग से मेरा नाता रहा
..कई यादें भी जुडी रही ..पर अब मुझे ऐसा लगता है .. ब्लॉग की दुनिया में वो बात नहीं रही ..अब ब्लॉग पर
टिप्पणियाँ चाहिए तो ..एक हाथ दें ..दुसरे हाथ ले..का प्रचलन शुरू हो गया है ..ऐसे में ब्लॉग पर पोस्ट चिपकाने का
अब कोई मतलब नहीं रह गया है ..जाते-जाते आज अंतिम कार्टून प्रस्तुत है ..सभी स्नेही दोस्तों का अत्यंत आभार..अगर कपिल सिब्बल की कृपा रही तो फेसबुक पर मिलते रहेंगे ...
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..कई यादें भी जुडी रही ..पर अब मुझे ऐसा लगता है .. ब्लॉग की दुनिया में वो बात नहीं रही ..अब ब्लॉग पर
टिप्पणियाँ चाहिए तो ..एक हाथ दें ..दुसरे हाथ ले..का प्रचलन शुरू हो गया है ..ऐसे में ब्लॉग पर पोस्ट चिपकाने का
अब कोई मतलब नहीं रह गया है ..जाते-जाते आज अंतिम कार्टून प्रस्तुत है ..सभी स्नेही दोस्तों का अत्यंत आभार..अगर कपिल सिब्बल की कृपा रही तो फेसबुक पर मिलते रहेंगे ...
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40 comments:
गजब की प्रस्तुति ..
ब्लॉग को भी रहने दीजिए ..
फेसबुक पर भी मिलिए ..
टिप्पणी की क्या आवश्यकता ..
देखते तो हैं ही सब सबकी पोस्ट को !!
संगीता जी की टिप्पणी से सहमत।
संगीता आंटी ने सही कहा है।
सादर
@ सुरेश जी ! आपका कार्टून एक हक़ीक़त है।
हिंदी ब्लॉगिंग गुटबंदी और माफ़ियागिरी के चंगुल में फंसी हुई है।
ये लोग टिप्पणियां बेहतरीन फ़नकारों को कम और ऐसे वैसों को ज़्यादा देते हैं।
बड़े बड़े अख़बारों में स्तरीय लेख लिखने वालों ने भी हिंदी ब्लॉग बनाए तो उनकी पोस्ट पर भी ये टिप्पणी नहीं देते क्योंकि इन्हें वे बदला चुकाने नहीं आते।
नकारात्मक तत्वों की हरकतों की वजह से आप ब्लॉग बंद न करें।
इन लोगों की वजह से पहले ही बहुत से ब्लॉगर अपना ब्लॉग बंद कर चुके हैं बल्कि ब्लॉगवाणी जैसे एग्रीगेटर तक को भी इन्होंने काम करने के लायक़ न छोड़ा।
अपनी हरेक पोस्ट पर ये टिप्पणियों का शतक या अर्द्धशतक ज़रूर बना लेते हैं, महज़ अपनी तकनीक के बल पर।
आशा है कि आप हमारे बीच बने रहेंगे।
हम भी यहां बने ही हुए हैं।
अच्छे और सच्चे लोगों की दो चार टिप्पणियां भी दिखावे की 50 टिप्पणियों से बेहततर हैं।
Please see
http://www.facebook.com/#!/profile.php?id=100001238817426
कर्म किए जा, फल की इच्छा मत करे इनसान,
जैसे कर्म करेगा, वैसे फल देगा भगवान...
(नोट...टिप्पणी को फल न समझें क्योंकि ये भगवान नहीं देता)
जय हिंद...
अजी यहां भी मिलेगे वहां भी मिलेगे ब्लाग को भी चलता रहने दे, कई जान कारो के फ़ेस बुक पर एकाऊंट नही तो वो क्या करेगे?
क्या फर्क पड़ता है, अगर टिप्पणियां नहीं भी मिले तो? फर्क तो उन्हें पड़ना चाहिए जो टिप्पणियों का व्यापार करते हैं...
मैं हमेशा आपके कार्टून देखता हूँ, क्योंकि मुझे पसंद आते हैं... जब उन्हें देखकर मन में खुछ खयालात आते हैं तो टिपण्णी भी करता हूँ, और कभी नहीं भी करता हूँ...
लेकिन अगर आप अपने कार्टून अपने ब्लॉग पर नहीं डालेंगे तो यह तो हम जैसो के साथ अन्याय होगा ना?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
सर जी कम से कम मुझे इस बात का हक है कि मैने बिना किसी टिप्पणी को प्राप्त किए आपके ब्लॉग पर टिप्पणी दी है सो यह आरोप आप बापस ले लें। और हां ब्लॉग का अपना स्तर है सो ंइसे बचाए रखिए...
आपकी बातो से मैं सहमत हू. पर ब्लॉग तो अपनी भावनाओं को सबके सामने रखने का एक जरिया है. इसमें टिप्पणी कि क्या ज़रूरत. जिन्हें देना हो दे जिन्हें नही देना हो न दे. इसलिए आप अपना ब्लॉग बंद न करें.
सादर.
पहली बात तो सुरेश भाई आपका कार्टून जबरदस्त है। और हम भी लिखते हैं परंतु टिप्पणी के लिये कतई नहीं, जिस दिन ऐसा लगा कि अब लिखने में कोई दम नहीं है, उस दिन हम भी लिखना बंद कर देंगे, ये तो एक ऐसी जगह है जहाँ आप अपने विचारों को शब्दों और चित्रों में ढ़ाल रहे हैं और दुनिया के साथ बाँट रहे हैं।
आप टिप्पणी के लिए तो लिखते नहीं होंगे , फिर इसकी परवाह क्या करें !
tippniyan nahi milti sirf is baat par blog band naa kare,
aap tippniya nahi pathko ki sankhya dekhe.
hindi blogging me tippniya to mahaj khana purti hai,
अरुणजी, मैंने कभी भी किसी व्यक्ति
विशेष पर आरोप नहीं लगाये हैं..आप
हमेशा मेरे ब्लॉग पर आते रहे हैं और
उत्साह बढ़ाते रहे हैं ..आप जैसे और
लोग इस ब्लॉग जगत में हों तो फिर
शायद इस तरह की पोस्ट की नौबत
कभी न आये..जो लोग यह कहते हैं की
वे टिप्पणियों के लिए नहीं लिखते ..वे
दरअसल सच्चाई से मुंह छुपा रहे हैं
परदे के पीछे ऐसे लोग ही टिप्पणियों
के लिए इधर से उधर भागते रहते हैं !
अनवर जी, आपकी लिखी एक- एक
बात सही है..आपने जो कहा बिना
लाग-लपेट के कहा , आपने आज के
ब्लॉग जगत के माहौल की कलई खोल
कर रख दी है ..हम आपके आभारी हैं
कर्म किये जा ..फल की इच्छा मत
कर ..ये किताबी बातें आज के दौर में
फिट नहीं बैठती ..सुझाव के लिए
धन्यवाद !
Suresh bhai, aapke blogs se mere comments gayab ho jaate hain, aaj fir se gayab hai... Plz check ur spam folder...
संगीता जी, हमेशा की तरह आपने
अपना फर्ज अदा कर खाना पूर्ती कर
ली..वैसे आपका ये कहना की टिप्पणियों
की क्या जरुरत..इससे हम सहमत
नहीं हैं..सच्चाई यही है की हर ब्लॉग
का आइना होती है टिप्पणियाँ ..ये
अलग बात है की लोगों ने इस आईने
को भी गन्दा कर दिया !
शाहनवाज भाई, हम आपकी टिपण्णी
को यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं , आपका
अत्यंत आभार -
Shah Nawaz has left a new comment on your post "आज अंतिम पोस्ट है दोस्तों..फेसबुक पर मिला करेंगे ....":
क्या फर्क पड़ता है, अगर टिप्पणियां नहीं भी मिले तो? फर्क तो उन्हें पड़ना चाहिए जो टिप्पणियों का व्यापार करते हैं...
मैं हमेशा आपके कार्टून देखता हूँ, क्योंकि मुझे पसंद आते हैं... जब उन्हें देखकर मन में खुछ खयालात आते हैं तो टिपण्णी भी करता हूँ, और कभी नहीं भी करता हूँ...
लेकिन अगर आप अपने कार्टून अपने ब्लॉग पर नहीं डालेंगे तो यह तो हम जैसो के साथ अन्याय होगा ना?
आपने खुले दिल से स्वीकार की टिप्पणियाँ ब्लोगर को उर्जा प्रदान करती हैं भले ही दो शब्द ही क्यों न लिखे गए हों ... जब हर ब्लोगर की यही इच्छा मन में होती है तो दूसरों के ब्लॉग्स पर जाना भी बनता है .. फिर उसे एक हाथ दे दूसरे हाथ ले क्यों समझा जाता है ? दूसरे ब्लॉगर भी आपका इंतज़ार कर रहे हैं न ? यूँ मायूस होना उचित नहीं ...
रतन जी, आपका अत्यंत आभार !
वैसे मैं यही तो कह रहा हूँ की टिपण्णी
जैसे सशक्त माध्यम को महज
खानापूर्ति का माध्यम बनाया किसने? ?
टिप्पणी व्यापार नहीं है बंधू-
अभिलाषा मन की मन में ही रह गई |
कई ब्लोगों पर ५०-५० टिप्पणियां की
पर वापस एक भी न आई ||
बने रहिये --
मेरे द्वारा प्रस्तुत चर्चा मंच पर भी गत सप्ताह मात्र १२ टिप्पणियां आईं |
पाठक पढ़ते हैं --
जरुरी नहीं की टिप्पणी छोड़ जाएँ |
दरअसल टिप्पणियों का स्टार काफी ऊंचा हो गया है ब्लॉग जगत में,
वैसी टिप्पणियां मेरे जैसे कई नहीं कर पाते हैं
टिप्पण-रुप्पण एक सम, वापस मिली न एक |
किस्मत में पत्थर पड़े, माथे धड़ दीवाल |
भंग घोटते कामजित, घोटे मदन कमाल |
घोटे मदन कमाल, दिवाली जित-जित आवै |
पा जावे पच्चास, दाँव पर एक लगावे |
रविकर होय निराश, लगा के पूरे सत्तर |
हार जाए सब दाँव, पड़े किस्मत में पत्थर ||
टिप्पण-रुप्पण एक सम, वापस मिली न एक |
किस्मत में पत्थर पड़े, माथे धड़ दीवाल |
भंग घोटते कामजित, घोटे मदन कमाल |
घोटे मदन कमाल, दिवाली जित-जित आवै |
पा जावे पच्चास, दाँव पर एक लगावे |
रविकर होय निराश, लगा के पूरे सत्तर |
हार जाए सब दाँव, पड़े किस्मत में पत्थर ||
आप अपना कार्य करते रहिये और ब्लोग को चलाते रहिये …………आपके दोस्त आपके साथ हैं।
आए थे अपनी मर्जी से
जायेंगे किसी और की (टिप्पणी करने ना करने वाली) मर्जी से?
पाबलाजी, दरअसल मामला केवल
टिपण्णी पाने का नहीं है ..इसके पीछे
जो झूठी चमचागिरी हो रही है उसका
विरोध है ..कुछ ऐसे लोग भी हैं जो
कूड़ा परोसते हैं और टिप्पणियाँ मिलती
है ..वाह !
jaese aap dusrae kae likhae ko kuddaa keh rahey haen dusrae aap ke likhae ko smajhtae hogae
social nerwork haen hindi blog me jo tippani ki sankhya ghata badhataa haen par wo maanak nahin haen
aap khud kitni jagah tippani kartae haen
naari blog par to aap kabhie nahin aayae
mae bhi aap ke blog par nahin aaii kyuki ham dono alag alag vishay par likhtae haen
agar aap ko jyadaa teep paanae kaa shauk haen
agar aap ko lagtaa haen jyada teep aap ko utsaah daegi
agar aap ko lagtaa haen jyadaa teep kaa matlab haen ki aap ke paas bhi jyada chamachae haen
to aap ko blog band karna hi chahiyae
jyada tippani paaney kaa achuk tarika bhi bataa daeti hun
ek din jitnii bhi post aayii haen unpar
jaa kar bas ek kament paste kartae jaaye
kyaa baat haen achchha likhaa haen
shubhkamnayae aap ko liktae rahey hindi ki sewa kartey rahey
paste karne me shyaad 50 blog par 10 minute chahiyae
cut copy paste
uskae baad 14 din baad phir dohraaye
य रचनाजी, आपके सभी सवालों
के जवाब हाजिर हैं ..मैंने ये नहीं लिखा
की सभी कूड़ा लिखते हैं..सचमुच जो
कूड़ा लिखते हैं ..उन्हें कैसे कहूं की
अच्छा लिखते हैं..फिर यही तो होगी
चमचागिरी..जो की कम से कम मेरी
फितरत तो नहीं है ..जहां तक मेरे
लिखे को कूड़ा समझने की बात है तो
इसी पोस्ट पर अन्य कमेन्ट को पढ़ें ..
आप समझ जायेंगी..और हाँ आपने
आरोप लगाया है की मैं कभी भी
आपके ब्लॉग पर नहीं गया तो प्लीज
अपने फोलोवर बॉक्स को देखें वहाँ
मेरी फोटो महीनों से लगी है ..यह
अलग बात है की आपका आरोप आप
पर ही फिट हो रहा है ..आज से पहले
मेरे ब्लॉग पर आपका दूर-दूर तक
पता न था ..जहां तक टिप्पणियों की
बात है तो असली मुद्दा आप समझ
नहीं पा रही हैं ..कार्टून एक ऐसा
सब्जेक्ट है जो हर आदमी के समझ
में शायद न आता हो..क्योंकि कुछ
समझ जाते हैं तो मुस्कुरा देते हैं और
जिनकी समझ में नहीं आता उनके
सर के ऊपर से मामला निकल जाता है
मुझे ब्लॉग बंद कर देना चाहिए ..ये
आपका सुझाव है या आदेश ? अगर
आदेश है तो मई मानने वाला नहीं ..
और सुझाव है तो सॉरी आप से ज्यादा
बहुमत आपके विपरीत है ..आभार !
टिपण्णी पाने का जो तरीका आपने
सुझाया है ..इसे आप ही क्यों नहीं
अपनाती ..इसे अपनाने की सबसे
ज्यादा जरुरत आपको है ..क्योंकि
आपके यहाँ भी टिप्पणियों का घोर
अभाव है पहले खुद इस्तेमाल करें ..
फिर विश्वास करें ...
पाबला जी, आते तो सभी इस दुनियाँ
में माँ-बाप की मर्जी से हैं ..पर जाते हैं
खुदा की मर्जी से ..इंसान की अपनी मर्जी
कहाँ चलती है ..मेरी मर्जी एक ऐसा
शब्द है जिससे घमंड की बू आती है
अब देखिये न कांग्रेस मेरी मर्जी कह
रही है तो चारो तरफ से गालियाँ
खा रही है..
शर्मा जी!
तो चलने दीजिए ना खुदा की मर्जी
आप अपनी मर्जी क्यों लाद रहे अपने ही ब्लॉग पर
हा हा हा
अगर मेरी मर्जी लादनी होती तो
मैं पतली गली लयों पकड़ता ..अब
व्यंग वान न चलायें सर ..:) :) :)
दोस्तों आप सभी का आभार ! सभी
अच्छी-बुरी टिप्पणियों का स्वागत !
पाबलाजी ने भी कहा - तो चलने दीजिये
अतः चलेगी सिर्फ दोस्तों की मर्जी ..
हम बने रहेंगे..आपके लिए ..धन्यवाद
Hurrrrrrrray
Namastey Suresh ji...
aaj mai pahli baar aapke blog par aai hu, wo bhi Lalit Uncle ki blog-varta wali post se... kya wakai comments aap jaise logon ke bhi kaarya ko effect kar sakte hain, wo bhi jo aaj blog-world mei comments ka haalaat rah gaen hain???
ham jaise bacche aisi baatein karen to ho samjha jaa sakta hai, par hame jinse seekhna hai yadi wahi aisi baatein karen to... ???
well, ab to aap nahi jaa rahe... great... aur haan ji, caartoon bada mast hai... :)
तशरीफ़ लाएं ब्लॉगर्स मीट वीकली 21 में और जानिए कुछ अद्भुत सच्चाईयों के बारे में अपने पसंदीदा ब्लॉगर्स की रचनाओं के ज़रिये...
http://hbfint.blogspot.com/2011/12/21-save-girl-child.html
सुरेश जी,
ये मेरी पहली टिप्पणी है आपके इस ब्लॉग पर | आपकी बात में दम है कि कुछ ब्लॉग पर टिप्पनिओं का अम्बार लगा रहता है व कुछ पर नहीं | इस ब्लॉग जगत में ये एक नियम बन गया है कि टिप्पणी करो व टिप्पणी पाओ | चाहे आप अच्छा लिखते हैं या नहीं इस का कोई सवाल नहीं है | मैंने भी बहुत से ब्लॉग पर पाया कि (किसी भी ब्लॉग का नाम लिए बगैर) किसी पोस्ट पर टिप्पनिओं के तो ढेर लगे हैं लेकिन कोई भी उस पोस्ट पर लिखी गई पंक्तिओं या उस पोस्ट पर प्रयुक्त की गई भाषा पर गौर नहीं करता | चाहे उस पोस्ट पर प्रूफ रीडिंग में कई प्रकार की अशुद्धियाँ हों | चाहे उस पंक्ति का मतलब दूसरी पंक्ति से मेल खाता हो या नहीं | लेकिन टिप्पणी वाह वाह में जरूर होनी चाहिए | टिप्पणी तो आज का एक स्टेटस सिम्बल बन चुका है | जिसे हर कोई अपने ब्लॉग पर बढा कर ये साबित करना चाहता है कि देखो मेरे ब्लॉग पर टिप्पनिओं का ढेर लगा है |
पोल खोल बोल
कृपया माडरेशन का विकल्प हटाने के बारे में भी विचार करें |
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